KAR LO DUNIYA MUTHTHI M HAI APME WO TAKAT


गिरो, पड़ो, सम्भलो फिर तेज रफ़्तार कर लो
मुट्ठी का विस्तार कर मुट्ठी में संसार कर लो
रब ने बनाया है तुम्हें तुम दुनिया में खास हो
खुद को संवारकर खुद से अनंत प्यार कर लो
कायरता, कापुरुषता, घबराहट का पसीना क्यों
आत्मबल से अपनी कमियों पर प्रहार कर लो
तुम ही जीतोगे बेफिक्र होकर कूद पड़ो मैदान में
वक्त के हमलों के लिए खुद को तैयार कर लो
नयी सुबह, नया सूरज, नयी किरणें हैं
दीप बन कर जल उठो दूर अन्धकार कर लो !!?!!

ग़ज़ल - JAJAL BAN GYI HAI AB HAR SHAM


दिल पे लगे घावों का ईनाम. है ग़ज़ल
बस आंसुओं का लिखना काम है ग़ज़ल
इश्क जारी हो तो लफ्ज ही नहीं जुड़ते
दो मोहब्बतों के बीच विश्राम है ग़ज़ल
क्यों न मखमली मखमली महसूस हो
बहुत .प्यारे रिश्तों की शाम है ग़ज़ल
ये मिलती है तो चमक उठता है वजूद
जीवन यात्रा का अहं मुकाम है ग़ज़ल
हर किसी के बस की बात नहीं है
मांगती बहुत ही ज्यादा दाम है ग़ज़ल !!?!!

The woman could not be alive- औरत जिंदा न हो सकी



न उष्णता थी और न महक जब गले लगाकर देखा
सारी उमर हमने पाषाण प्रतिमा से टकराकर देखा
कोशिशें की, लेकिन औरत जिंदा न हो सकी बुत में
खूब गाल खींचे और पसलियों को गुदगुदाकर देखा
व्रत, तीज, त्यौहार और गले में लंबा मंगलसूत्र मगर
आँखें सूनी सूनी ही रही, हजारों बार मुस्कुराकर देखा
सर्दी, गर्मी, दुःख, पीड़ा, आंधी-तूफ़ान आकर चले गये
आँखों से आंसू भी न निकले बहुत दिल दुखाकर देखा
जब तक यकीन जिंदा हो इंसान जिंदा रहता है
वो खोया हुआ विश्वास न लौटा गंगाजल उठाकर देखा !!?!!

Etihas hi hai इंसा का इतिहास सिमटा है बस यूँ


हर आदमी यहाँ पर प्रदीर्घ कहानी संग्रह है बिट्टो
आँखों की गहराई में खारा पानी संग्रह है बिट्टो
अकेले बैठे इंसा का खामोश रुदन सुनकर देख लो
उपरी चकाचौंध के भीतर वीरानी संग्रह है बिट्टो
एक पंक्ति में इंसा का इतिहास सिमटा है बस यूँ
घात-प्रतिघात की दर्दभरी निशानी संग्रह है बिट्टो
क्या हिसाब करे कोई जीवन की उपलब्धियों का
खुशियों की ओस, दुखों का तूफानी संग्रह है बिट्टो
जिसे मोहब्बत समझे वो अस्ल में तिजारत निकली
केवल किताबों में प्यार के राजारानी संग्रह है बिट्टो
टूटे बंदे, सूखी नदियाँ, प्यासी धरा, मरते पंछी
यहाँ किसके हिस्से रब की मेहरबानी संग्रह है बिट्टो !!?!!

happy fathers day



हर झुर्री अपने में एक कथानक बसाये हुए है
पिता के चेहरे में कई महाकाव्य समाये हुए है
अब तलक बेरोजगार हैं पढ़े - लिखे बेटे सभी
बेबस बूढ़ा बाप संविधान को गले लगाये हुए है
अब न टीवी देखते हैं न अखबार पढ़ते हैं पापा
आत्मघात करते युवाओं की खबरें डराये हुए है
सरकारें बदली मगर हालात जस के तस रहे
सब एक जैसे निकले हैं सभी आजमाये हुए है
हादसा नहीं थी, पिता की वह दुर्घटना
बदले में एक बेटा अनुकम्पा नौकरी पाये हुए है !!?!!

MA KI MAMTA, MA KA PYAR

तलाशे रोटी के सफ़र मे मुझसे दूर
मत होना माँ,
बताऊँगा भुख को के, तुमसे बड़ा कोई
नही होता माँ,।।

Pathar Bhi Adami HO Jaye पत्थर भी आदमी हो जाये


तुम्हें देखें, तो ये ख्याल आता है कि खुदा है
ये रेशम रेशम सा वजूद बताता है कि खुदा है
तुम्हारी साँसों से महकी है फूलों की कलियाँ
तुमसे लिपटकर हर भंवरा गाता है कि खुदा है
क्या पाया है रंग-रूप, नाक-नक्श और यौवन
मुस्कुराता हुआ हर अंग जताता है कि खुदा है
पत्थर को देख लो तुम तो वो आदमी हो जाये
तुम्हारा हर इशारा पैगाम लाता है कि खुदा है
इबादत करता है पाक मोहब्बत की और
ये सोचकर तुम्हें दिल में बसाता है कि खुदा है...!!?!!

Tumhare Khwab M Hai Kaun तुम्हारे ख्वाब में है कौन


बस इक ही निगाह से, वो ग़ज़लें हज़ार कह देती है
जो ग़ालिब जैसे न कह पाये वो हर बार कह देती है
बिखेरती है जुल्फ़ें तो हो जाते हैं कलाम अनगिनत
पढना चाहे गर कोई, तो बस खबरदार कह देती है
उसके आते ही महफिलें बदल जाती हैं मुशायरों में
बिना लब खोले ही वह प्यारे अशआर कह देती है
कौन हैं शागिर्द तुम्हारे किनने सीखी तुमसे शायरी
पड़े तो हुए हैं इधर उधर सैकड़ों गुलज़ार कह देती है
तुम सबके ख़्वाबों में हो, तुम्हारे ख्वाब में है कौन
वो शरमाकर तुम्हारा है इंतजार कह देती है..!!?!!

KUCHH BATE KUCHH YADE-जुगुप्सा न जगाओ मुझमें



स्त्री
पुरुष को और
पुरुष
स्त्री को सदैव
आकर्षित करते रहे हैं
अपने होने से परस्पर
हर्षित करते रहे हैं .....
पर
स्त्री होने के नाते मुझमें
यह बात नफरत जगाती है
अधिकांश
पुरुषों की आँखों में
सिर्फ एक चाह नजर आती हैं
जैसे
तुम्हें स्त्री की देह
सोते जागते हैरान करती है
वैसे
मुझे पुरुष की देह
वक्त बेवक्त परेशान करती है
मैं भी
देखती हूँ
पौरुष भरी बाँहों की मछलियाँ
अंदर धंसा पेट
बाहर निकला सीना और
यूनानी देवता सी पसलियाँ
पर
तुम्हें पता ही नहीं लगता है कि
कब मैंने दीदार कर लिया
चुपचाप
शालीनता से, सौम्यता से
भरपूर प्यार कर लिया ....
और
तुम्हारी नजरें
रेंगती हैं जहरीले सर्प की तरह
मुझमें
नहीं जागता है प्रेम
देह हो जाती है बर्फ की तरह
आँखों ही आँखों से
मुझे चीरकर
तुम मुझे जताते भी हो
क्या क्या
कितना कितना देखा
बेशर्मी से बताते भी हो....
जुगुप्सा
न जगाओ मुझमें तुम नर
अंतहीन असीम प्यार जगाओ
मैं हाँ मैं
स्वयं आ जाऊं बाहों में
तुम मुझमें ऐसा खुमार जगाओ ...!!?!!

College Life - नये नये से आये थे

आखों मैं सपने और दिल मैं अरमान लिए
निकल पड़े एक नये सफ़र पे
बिना किसीका साथ लिए ,
नये नये से आये थे
हम सारे अनजाने
खुलकर मिलने में भी
तब सकुचाते थे ,
नाम पूछते , बतलाते थे
फिर थोडा मुस्काते थे ,
नाजूक से मन में
अपना भाव जगाते थे ॥

धिरे - धिरे एक दुसरे में घुलते गये
ना जाने कब अच्छे दोस्त बन गये ,
एक - दुसरे से साथ जीने - मरने
का वादा करते गये
उम्र भर के लिए एक नया
रिश्ता जोडते गये ॥

कॉलेज आने का मन नहीं
फिर भी कॉलेज आया करते थे ,
हर असाइनमेंट को छाप - छाप कर
अपना ग्यान बढाया करते थे ,
इंजिनिअरिंग करते करते
कुछ आये ना आये
पर बखुबी नकल करना
सिख  रहे थे ,
मास बंक , प्रॉक्सी के जरिये
कॉलेज ना आने पर भी प्रेसेंट हुआ करते थे ॥
बड़ा तंग किया टिचर्स को
फाईल्स पूरी की आखिरी रात को ,
खूब टांग खिची ,
परेशान किया दोस्तों को ,
दो मिनिट में आया कहकर
वेट  करवाया रास्तों पर ॥

लेक्चरर्स बोर करते थे
पर दोस्तों के साथ वो भी
पलक झपकते पुरे हो जाया करते थे ,
अपने यारों के दिल की बाते
बिना कहे जानने लगे ,
जिंदगी के लम्हों को
एक यादगार किताब  बनाते गए ॥

इग्जाम समय आने पर
खुद को रात-रात जगाया करते थे ,
कितने भी क्लासेस किए हो ,
कितनी भी बुक्स पढ़ी हो ,
कुछ समज न आने पर
' मुझे पढ़ा दे ' का नारा भी
शान से लगाया करते थे ,
आखिरी वक्त दोस्तों के साथ
पढ़ने की बात ही अलग थी
इग्जाम कैसे भी जाये
दोस्त हमेशा साथ हुआ करते थे ॥

शुरूवात में रिझल्ट को देखकर
कुछ रोते तो
कुछ मुस्कुराया करते थे ,
धिरे-धिरे इग्जाम देने से भी
कभी डरा नही करते थे ॥

टिचर्स डे , टाय डे , ट्रेडिशनल डे
बड़े धूमधाम से बनाए ,
कॉलेज फेस्टिवल , स्पोस्टर्स भी
उत्साह से सजाए ,
खुशी - गम में एक - दुसरे का
साथ निभाते गए
जिंदगी का हर एक पल
सुहाना बनाते गए ॥

इग्जाम खतम होने से पहले ही
छुट्टीयों की योजना शुरू करते थे ,
हर छुट्टी में एक नयी जगह
धमाल किया करते थे ,
कितने भी दूर हो एक दुसरे से ,
कितने भी हो टेंशन में ,
आधी रात को
यारों को सताया करते थे ॥
कुछ दिन फायनल सेम के बाद
हर कोई अपने रास्ते निकल जाए�गा ,
ये जिंदगी का एक अनजाना सफर
चूप के से हमसे दूर चला जाएगा ॥

अजीब थे ये लम्हें
जिन्होंने हमें हसाया भी
और रूलाया भी ,
अजिब थे ये लम्हें
जिनमें कुछ पाया भी
और कुछ खोया भी ,
ये मौज मस्ती भरे जिंदगी के पल
वापस लौट ना आयेंगे ,
चार बरस जिंदगी के
सबसे यादगार कहलाएंगे ॥

दिल में बहुत सारी यादें होगी
फिर हर एक आँख नम होगी ,
कभी ना अकेले रहने वाले दोस्त
अब यादों के सहारे जिएगें
मिलते रहने का वादा करके
एक दुसरे का हौसला बढाएगें ,
वापस जब कभी भी ये कॉलेज के
दिन  याद आएगें ,
तो आँखों में हसी और आँसू
एक  साथ आएगें ॥

Ab zindgi Aapke Hawale - कितनी हथकड़ियाँएँ हैं


गले में मंगलसूत्र और पैरों में बिछियाएँ हैं
औरत के हिस्से में कितनी हथकड़ियाँएँ हैं
उठ कहा उठ गयी, बैठ कहा तो बैठ गयी
इंसा कहाँ हैं नारी तो बस कठपुतलियाँएँ हैं
माथे से एड़ी तक रंगरोगन कजरे मेहंदी का
नारी धरती के शोकेश में सजी गुड़ियाएँ हैं
तानों, उलाहनों का मानसून देता है नमी
इस जमीं पर नारी अश्रु भरी बदलियाँएँ हैं
ये ही हाल रहा तो कैसे जी सकेंगी
स्त्री के लिए हर कदम पे जबरदस्तियाँएँ हैं !!?!!

Mammi Papa AA Jao - मम्मी पापा आ जाओ


मम्मी पापा अपने अहम को मारकर आ जाओ
खुद की खींची लक्ष्मण रेखा पारकर आ जाओ
दोनों की उँगलियाँ थाम के मुझे आगे बढ़ना है
दम्भ के ये खोखले मुखौटे उतारकर आ जाओ
आप दोनों ने मुझे जन्मा अब दोनों गढ़ो मुझे
मेरे लिए फिर से आपस में प्यारकर आ जाओ
मुस्कान काफी है मुकदमों के खात्मे के लिए
कोर्ट-कचहरी वकील जज को नकारकर आ जाओ
आज हमारे पास जिंदगी है कल रहे न रहे
झगड़ा छोड़ो एक दूसरे को पुचकारकर आ जाओ !!?!!